Monday, December 5, 2016

ये रही हकीकत

धन शब्द धान से बना है
पहले जो किसान मेहनत करके ज़्यादा धान उगा लेता था उसे धनवान कहते थे।
बाद में मुद्रा अर्थात पैसे का अविष्कार हुआ।
पैसे को वस्तुओं या सेवा के बदले लिया दिया जाने लगा.
तब से माना जाने ;लगा कि पैसा वस्तुओं का प्रतिनिधि है।
वस्तुओं की कीमत पैसे से नापी जाती है।
जैसे पहले एक रूपये में दस किलो अनाज आता था।
अब डेढ़ सौ रूपये में दस किलो अनाज आता है।
तो अनाज की कीमत बढ़ गयी
या कहिये कि पैसे की कीमत गिर गयी
तो असल में पैसे की कीमत गिरने से
अनाज की कीमत बढ़ गयी
किसी चीज़ की कीमत तब घटती है जब उसकी मात्रा ज़्यादा बढ़ जाती है
जैसे पैसे की मात्रा ज़्यादा हो गयी
तो पैसे की कीमत घट गयी
परिणाम स्वरूप वस्तुओं का मोल बढ़ गया
इसे ही आप महंगाई कहते हैं
इसे अर्थशास्त्र में मुद्रा स्फीति कहा जाता हैं
अर्थात वस्तुओं और सेवाओं के मुकाबले मुद्रा का ज़्यादा हो जाना
मान लीजिए मेरे पास सौ करोड़ रूपये हैं
मैंने सुबह बैंक में फोन करके सौ करोड़ रुपयों के शेयर्स खरीद लिए
शाम को मैंने दस प्रतिशत बढे हुए रेट पर वो शेयर बेच दिए
शाम तक मेरे पास दस करोड़ रूपये का मुनाफा आ गया
इस मामले में मैंने ना तो किसी वस्तु का उत्पादन किया ना ही किसी सेवा का उत्पादन किया
लेकिन मेरे पास दस करोड़ रूपये बढ़ गए।
पैसे मेरे बैंक में ही हैं
अब मैं चेक से उन पैसों से अनाज भी खरीद सकता हूँ
मैं अनाज मंडी में खरीदे गए सारे अनाज को खरीद लेता हूँ
बाजार में बिक्री के लिए अनाज नहीं जाने देता
इससे अनाज की मांग बढ़ जाती है
इससे अनाज की कीमत बढ़ जाती है
अनाज की कीमत दस करोड़ एक दिन में कमाने वाले के लिए नुकसानदायक नहीं है
लेकिन सौ रुपया रोज़ कमाने वाले मजदूर के लिए नुकसानदायक होगी
अनाज उगाने वाले किसान को ज़्यादा पैसा मिलेगा
लेकिन चूंकि पैसे की कीमत तो गिर ही चुकी है
इसलिए उसे उस पैसे की बदले में कम सामान मिलेगा
तो पूंजी बैठे बैठे
पैसे को बढ़ाने की ताकत किसी के हाथ में दे देती है
उसका पैसा तेज़ी से बढ़ता जाता है
लेकिन मेहनत करने वाले मजदूर
या मेहनत से उत्पादन करने वाले किसान
का पैसा तेज़ी से नहीं बढ़ता
इसलिए यह तबका इस अर्थव्यवस्था में गरीब बन जाता है
शेयर खरीदने के लिए मुझे बैंक क़र्ज़ देता है
मैं चाहूँ कितनी ही कंपनियां बना सकता हूँ।
मैं चाहूँ तो अपनी ही कम्पनी के शेयर भी खरीद सकता हूँ।
बैंक में किसान और मजदूर का भी पैसा जमा है।
किसान और मजदूर के बैंक में जमा पैसे से मैं अपनी ही कंपनी के शेयर खरीदता हूँ
खुद ही उनके रेट बढाता हूँ
खुद ही मुनाफ़ा कमाता हूँ
और मेरे पास पैसा बढ़ता जाता है
उधर किसान का अनाज नहीं बढ़ रहा
इसलिए उसके पास पैसा भी नहीं बढ़ेगा
मैं इस पैसे से नेता अफसर और पुलिस को खरीद लूँगा
मैं इस पैसे से अपना कारखाना लगाने के लिए किसान की ज़मीन पुलिस के दम पर छीन लूँगा
अब मेरे पास बिना काम किये रोज़ करोड़ों रूपये आते जायेंगे
अब सरकार पुलिस और जेल अदालत मेरे बिना मेहनत से कमाए हुए धन की सुरक्षा करेगी
जो गरीब इस तरह से मेरे धन कमाने को गलत मानेगा
उसे सरकार जेल में डाल देगी
अब नौजवानों को रोज़गार मेरे ही कारखाने या दफ्तर में मिलेगा
अब कालेज में नौजवानों को वही पढ़ाया जाएगा जिसकी मुझे ज़रूरत होगी
अब नौजवान मेरी सेवा करने के लिए पढेंगे
अब बच्चों की शिक्षा मेरे कहे अनुसार चलेगी
मैं टीवी के चैनल भी खरीद लूँगा
अब टीवी आपको मेरा सामान खरीदने के लिए प्रेरित करेंगे
मैं शापिंग मॉल भी खरीद लूँगा
मैं छोटी दुकाने बंद करवा दूंगा
अब आप मेरे ही कारखाने या दफ्तर में काम करेंगे
और मेरे ही शापिंग मॉल में जाकर खरीदारी करेंगे
मैं ही एक हाथ से आपको पैसे दूंगा
और दूसरे हाथ से पैसे ले लूँगा
आप दिन भर मेरे लिए काम करेंगे
अब आप मेरे गुलाम हो जायेंगे
अब मैं आपकी जिंदगी का मालिक बन जाऊँगा
अब मैं करोड़ों लोगों की जिंदगी का मालिक बन जाऊँगा
अब आपको वहाँ रहना पड़ेगा जहां मेरा आफिस या कारखाना है
आपके रहने की जगह मैं निर्धारित करूँगा
आपको मैं उतनी ही तनख्वाह दूंगा जिसमे आपका परिवार जी सके
आप अपनी बेसहारा बुआ मौसी या माता पिता को अपने साथ नहीं रख पायेंगे
तो आपके परिवार का साइज़ भी मैं तय करूँगा
अब आप मेरे लिए काम करते हैं
आपके बच्चे मेरे लिए पढते हैं
आप मेरी पसंद की जगह पर रहते हैं
अब मैं जिस पार्टी को चाहे टीवी की मदद से आपके सामने
महान पार्टी के रूप में पेश कर देता हूँ
आप उसे वोट भी दे देते हैं
मैं साम्प्रदायिकता का इस्तेमाल करके आपको मेरे लिए फायदे मंद पार्टी को वोट देने के लिए मजबूर करता हूँ
मैं अफ्रीका में अलग अलग कबीलों को आपस में लड़वाता हूँ
मैं भारत में अलग अलग संप्रदायों को लड़वाता हूँ
और फिर बड़े कबीले की तरफ मिल कर सत्ता पर कब्ज़ा कर लेता हूँ
भारत में अभी बड़ा कबीला हिंदू है
इसलिए मैं हिंदुओं की साम्प्रदायिकता को भड़का कर अपने गुलाम नेता को सत्ता में बैठा देता हूँ
पाकिस्तान में मैं मुसलमान साम्प्रदायिकता को भडकाता हूँ
क्योंकि पाकिस्तान में बड़ा कबीला मुसलमान हैं
ये रही हकीकत आपकी
राजनीति
साम्प्रदायिकता
अर्थव्यवस्था
शिक्षा व्यवस्था
और विकास की

No comments:

Post a Comment