Sunday, July 3, 2016

रश्‍मि


रश्‍मि द्विवेदी एक संपन्न परिवार में पैदा हुई ၊ पिता प्रसिद्ध वैद्य थे ၊ रश्मि की शादी एक संपन्न परिवार में तय हो गई थी ၊ रश्मि को पता चला कि शादी में बड़ा दहेज़ दिया जाने वाला है ၊ विरोध में रश्‍मि नें घर छोड़ दिया और आदिवासियों के बीच एक गांव में रहने लगी ၊ कुछ वर्षों बाद प्रसिद्ध युवा सामाजिक कार्यकर्ता रत्नेश्वर नाथ और रश्मि नें शादी करी ၊ रश्मि और रत्नेश्वर नाथ की एक बेटी हुई ၊ रत्नेश्वर कांकेर के के पास आदिवासियों के साथ उनके अधिकारों के लिये और रश्मि बिलासपुर के पास बैगा आदिवासियों के साथ काम करने लगी ၊ रश्‍मि की बेटी लगभग सात साल की थी, एक दिन सड़क पार करते समय दुर्घटना में बच्ची का देहांत हो गया ၊ कुछ वर्षों बाद रत्नेश्वर नाथ का भी निधन हो गया ၊
रश्मि आदिवासियों के बीच काम करती रही ၊ जब मैं बस्तर में काम करता था तो अक्सर हम मिलते थे ၊ बस्तर में सरकार ने आदिवासियों के जिन गांवों को जला दिया था , हम लोग उन गांवों में दोबारा आदिवासियों को बसा रहे थे ၊ रश्मि युवा कार्यकर्ताओं को लेकर दोबारा बसाये गये गांवों का अध्ययन करने लाई थीं ၊
रश्मि बहुत हिम्मती थी ၊ एक बार बैगा आदिवासियों के सरकारी दमन के खिलाफ हज़ारों आदिवासियों के साथ मुख्यमंत्री रमन सिंह का बंगला सुबह चार बजे घेर लिया था ၊ पुलिस , प्रशासन और सरकार के हाथ पैर फूल गये थे ၊
रश्‍मि उम्र में मुझ से छोटी थी ၊ मैनें साथियों से पूछा कि रश्मि को अचानक क्या हुआ था ၊ पता चला रश्‍मि को कैंसर हो गया था ၊ पैसों का अभाव रहता था ၊ लेकिन रश्मि एक दिन की भी छुट्टी किये बिना आदिवासियों के लिये भाग दौड़ करती रही ၊ फिर एक दिन खबर आयी कि रश्मि नहीं रही ၊ बात बात में ठहाके लगाने वाली , पुलिस की लाठियों के बीच हुंकार लगाने वाली वह साहसी साथी हमारे बीच से उठ कर चली गई है ၊ विश्वास करने में समय लगेगा ၊
सरकार कहती है आदिवासियों के अधिकारों के लिये लड़ने वालों को विदेशी पैसा मिलता है , ये लोग ऐश करते हैं ၊
रश्‍मि और उन जैसे अनेकों कार्यकर्ता गुमनाम रह कर भारत के लोकतन्त्र को दूर देहातों तक ले जाने का महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं ၊ वर्ना लोकतन्त्र किसी किताब में लिखी कहानी बन कर रह जायेगी ၊
अलविदा साथी रश्मि ၊

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