Thursday, December 3, 2015

जहाँ अन्याय है वहाँ शांति संभव ही नहीं है

दो ज़िले हैं
एक ज़िले में बहुत सारे बड़े उद्योग हैं और दूसरे ज़िले में कोई भी भी बड़ा उद्योग नहीं है
तो आप कौन से ज़िले को विकसित जिला कहेंगे
बेशक आप उस ज़िले को ही विकसित कहेंगे जिसमें बहुत सारे बड़े उद्योग लगे हुए हैं
अच्छा ये बताइये कि बड़ा उद्योग कौन लगाता है गरीब आदमी या अमीर आदमी
आप कहेंगे कि अमीर आदमी ही बड़ा उद्योग लगाता है
अच्छा ये बताइये कि बड़ा उद्योग लगाने के लिए ज़मीन किसकी ली जाती है
अमीर आदमी की या गरीब आदमी की
आप कहेंगे कि बड़ा उद्योग लगाने के लिए ज़मीन तो गरीब की ही ली जाती है
तो आपके विकास का मतलब हुआ कि गरीब से ले लो और अमीर को दे दो
तो इसे आप कहते हैं विकास
अच्छा ये बताइये कि बड़ा उद्योग लगाने के लिए जब गरीब की ज़मीन ली जानी होती है
तो क्या गरीब प्रेम से अपनी ज़मीन दे देता है ?
नहीं गरीब प्रेम से अपनी ज़मीन नहीं देता है
गरीब अपनी ज़मीन छीनने का विरोध करता है
फिर क्या होता है ?
सरकार गरीब के विरोध को दबाने के लिए पुलिस को भेजती है
पुलिस जाकर गरीब को प्रेम से समझाती है क्या ?
नहीं पुलिस गरीब को पीटती है
पुलिस गरीब की झोंपड़ी तोड़ देती है
पुलिस गरीब को जेल में डाल देती है
पुलिस गरीब को गोली मार देती है
और ज़मीन छीन ली जाती है
और गरीब की वह ज़मीन अमीर को दे दी जाती है
तो अमीर को और भी अमीर बनाने के लिए गरीब को पीट कर उसके पास जो कुछ है उसे छीन लिया जाता है
और उसे अमीर को दे दिया जाता है
यानी बंदूक के दम पर गरीब से छीन लो और दांत दिखाते हुए उसे अमीर को सौंप दो
इसे आप कहते हैं
न्याय और लोकतंत्र
अच्छा ये भी बताइये हम सब गंदगी करते हैं
लेकिन खास जाति के लोग उस गंदगी को साफ़ करते हैं
तो गंदगी करने वाले बड़े या सफाई करने वाले बड़े
आप कहेंगे सफाई करने वाले बड़े
क्या हम सफाई करने वाली जाति के लोगों को बड़ा मानते हैं ?
नहीं जी सबसे नीचा मानते हैं
मतलब असल में आप गंदगी करने वाले को बड़ा मानते हैं और सफाई करने वाले को नीच मानते हैं
तो ये है आपकी संस्कृति
जिसे आप विश्व की सबसे महान संस्कृति भी कहते हैं
आप खुद ही ध्यान से देखिये इस तरह के विकास से
इस तरह के लोकतंत्र और न्याय से
और इस तरह की संस्कृति से
शांति और समानता संभव है क्या ?
जनाब आपके इस विकास, इस लोकतंत्र, आपके इस न्याय और आपकी इस संस्कृति में से सिर्फ असंतोष और अशांति ही निकल सकती है .
लेकिन आप सोचते हैं आप पुलिस के दम पर शांति ले आयेंगे
तो जनाब आप ऐसा कभी कर ही नहीं पायेंगे
आप करोड़ों कड़ी मेहनत करने वाले लोगों को गरीब बनाए हुए हैं
वो मेहनतकश जब भी आवाज़ उठाते हैं
आप पुलिस की बंदूक और जेलों के दम पर उनकी आवाज़ को कुचल देते हैं
इस लिए आप हमेशा पुलिस और फौज के गुण गाते हैं
इसी लिए आपकी जेलें गरीबों से भरी हुई हैं
असल में तो आपको पता है
आप आज अन्याय और दमन के दम पर ही मज़े में हैं
आप मेहनत नहीं करते लेकिन कार में घूमते हैं
जिस दिन गरीब की ज़मीन छीनने के लिए ये पुलिस गोली नहीं चलाएगी
उस दिन आपकी अमीरी खतम हो जायेगी
जिस दिन सफाई करने वाले को इज्ज़त मिलनी शुरू हो जायेगी
उस दिन गंदगी करने वाले आप अपने सम्मान के सिंहासन से नीचे लुढक जायेंगे
इसलिए ही आपके राष्ट्र का राष्ट्रपति अपनी ज़मीन बचाने की कोशिश करने वाली महिला सोनी सोरी के गुप्तांगों में पत्थर भरने वाले पुलिस अधिकारी को वीरता पुरस्कार देता है
लेकिन संविधान ने कहा था
कि राज्य का कर्तव्य होगा कि वह आर्थिक समानता लाएगा
यानी सरकार गरीब की ज़मीन छीन कर अमीर को नहीं दे सकती
संविधान ने कहा था सबका सम्मान बराबर होगा
यानी सफाई करने वाले को भी आपके बराबर सम्मानित माना जाएगा
लेकिन आप अभी भी संविधान की बात मानने को तैयार ही नहीं हैं
आप देश को मूर्ख बनाने के लिए कहते हैं कि हम संविधान में एक बार फिर से आस्था व्यक्त करते हैं
लेकिन आपने एक भी जगह संविधान की बात मानने की कोई कोशिश ही नहीं करी है
लोग इस ढोंग के कारण बहुत गुस्से में हैं
हम लोगों के गुस्से को और भी भड़कायेंगे
ताकि करोड़ों लोग संविधान को ज़मीन पर लागू कर लें
यह दमनकारी राज्य , यह ढोंगी न्याय व्यवस्था , यह संस्कृति ,
एक दिन के लिए भी बचाए जाने के योग्य नहीं है
इसका समूल नाश ही नए समाज को बनाने का रास्ता खोल सकता है
जहाँ अन्याय है वहाँ शांति संभव ही नहीं है

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