Sunday, May 26, 2013

दरभा घाटी

दरभा घाटी में अभी एक दुर्घटना हुई है .जिसमे कांग्रेस पार्टी के नेता मारे गये हैं . इसी दरभा घाटी में अन्य दुर्घटनाएं भी हुई . लेकिन उन पर हमारे शोर मचाने के बाद भी कभी किसी ने उन पर ध्यान नहीं दिया . 

दरभा घाटी में टाटा स्टील के लिए ज़मीन छीनने की कोशिश की जा रही थीं . लोहंडीगुडा में आदिवासी अपनी ज़मीन ना देने के लिये तुले हुए थे . सरकार और जिला प्रशासन टाटा के नौकरों की तरह आदिवासियों की ज़मीन छीनने में जुटा हुआ था . 

प्रशासन ने कानून की आँखों में धुल झोंकने के लिये कानूनी प्रक्रिया के मुताबिक जन सुनवाई गाँव में करने की बजाय चालीस किलोमीटर दूर जगदलपुर शहर में कलेक्टर आफिस में रखी . इधर गाँव को पुलिस ने चारों तरफ से घेर रखा था . किसी भी आदिवासी को गाँव से निकलने नहीं दिया गया . जन सुनवाई में शहर के ठेकेदार और बाहरी नेता शामिल हुए जिन्होंने कारखाने का फर्जी समर्थन किया जबकि उन्हें तो जन सुनवाई में भाग लेने का कोई ह्क़ ही नहीं था .

इसके बाद सरकार ने गाँव वालों के नाम से मनमर्जी मुआवजे के चेक बना दिये . गाँव वालों ने चेक लेने से इनकार कर दिया . उस गाँव का एक आदमी कलेक्टर आफिस में चपरासी के रूप में काम करता था . कलेक्टर ने उसे बुला कर उसे जबरन चेक स्वीकार करने के लिये धमकाया . 

गाँव वालों ने चेक लेने से इनकार किया तो कलेक्टर आफिस ने ज़मीनों के नामों में हेराफेरी कर के एक की ज़मीन दूसरे के नाम कर के फर्जी मालिक खड़े कर के मुआवजे के चेक बाँट दिये . 

लोग अभी भी अपनी ज़मीन छोड़ने के लिये तैयार नहीं थे . इस पर क्रोधित होकर सरकार ने पुलिस को जनता को ज़बरदस्ती वहाँ से निकलने के लिये कहा . 

पुलिस ने लोगों पर हमला किया . अनेकों लोगों के सिर फोड दिये अनेकों गाँव वालों को जेल में ठूंस दिया गया . अनेकों लड़कियों पर पुलिस ने यौन हमला किया . बारहवीं में पढ़ने वाली एक लड़की ने हमारी साथी बेला भाटिया को अपने साथ पुलिस द्वारा बलात्कार करने की जानकारी दी . उन्होंने इस घटना के बारे में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को इस बाबत लिखा . लेकिन भारत का मानवाधिकार आयोग उद्योगपति टाटा से बड़ा तो है नहीं सो उसने कोई कार्यवाही नहीं की .

जगदलपुर में कलेक्टर के रूप में गणेश शंकर मिश्रा काम कर रहे थे .वह सरकारी पैसे को इस काम के लिये खर्च कर रहे थे कि सब उन्हें बड़ा गांधीवादी मान लें . उन्होंने सारे कलेक्टर कार्यालय को गांधी के पोस्टरों से भर दिया . सारे दिन कलक्टर आफिस में गांधी के भजन बजाए जाते थे . लेकिन दूसरी तरफ यही कलेक्टर इस पीड़ित लड़की की मदद करने के लिये तैयार नहीं थे . 

तभी वरिष्ठ गांधीवादी कार्यकर्त्ता निर्मला देशपांडे ने मुझसे कहा कि उन्हें बस्तर के कलेक्टर ने समरोह में आमंत्रित किया है . मैंने निर्मला देशपांडे जिन्हें मैं बुआ कहता था से कहा कि बुआजी यह कलेक्टर गांधीवादी तो बिल्कुल नहीं है . आपको इस कार्यक्रम में नहीं आना चाहिये . उन्होंने कहा कि कोई बात नहीं कोई अगर थोड़ा बहुत भी अच्छा काम कर रहा है तो हमें उसमे मददगार बनना चाहिये . मैंने कहा कि अगर आप इस कार्यक्रम में आयेंगी तो मैं काला झंडा लेकर सडक पर खड़े होकर आपका विरोध करूँगा . इसके बाद वे नहीं आयीं . 

आज दरभा घाटी में यह सब हुआ तो मुझे पुरानी बातें याद आ गईं . तब भी इन बातों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया था . आज भी यह सब बातें अनसुनी ही रह जायेंगी .

लेकिन हम यह ज़रूर जान लें कि लोगों पर हमारे ज़ुल्म समाज में अशांति का कारण ज़रूर बनते हैं जल्दी या कुछ देर के बाद ही सही .

6 comments:

  1. लेकिन हम यह ज़रूर जान लें कि लोगों पर हमारे ज़ुल्म समाज में अशांति का कारण ज़रूर बनते हैं जल्दी या कुछ देर के बाद ही सही .
    आप से शत-प्रतिशत सहमति है

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  2. None of body of Darbha Ghati is Cremated yet, and National Television forgot it to telecast IPL Final. if such brutal incident, on such big perosnlities failed to attract people and media attention.... how can we expect brutal killing and rape of ew tribals will make score ???

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  3. छत्तीसगढ़ की दरभा घाटी में बड़ी हिंसक कार्यवाही को अंजाम देने वाले संगठन वामपंथी अतिवादी हैं। यह वामपंथी अतिवाद श्रमजीवी जनता की क्रांति के मार्ग में बाधाएँ ही उत्पन्न करता है, उस की कोई मदद नहीं करता तथा जनता की क्रांतिकारी शक्तियों को कमजोर करता है। भारत की विशिष्ठ परिस्थितियों में ये अतिवादी संगठन जीवित भी है तो इस कारण कि भारत सरकार और राज्य सरकारें जंगलों से आदिवासियों को जबरन बलपूर्वक की गई हिंसा के माध्यम से खदेड़ना चाहती है और इस के लिए अमानवीय व्यवहार ही नहीं करती अपितु जनतांत्रिक अधिकारों को पूरी तरह ताक पर रख कर यातनाएँ पहुँचाती है और हत्यारे समूहों का निर्माण कर हत्याएँ करवाती है। सुकमा की हिंसक घटनाओं के लिए जहाँ ये अतिवादी जिम्मेदार हैं वहीं देश की केन्द्र सरकार व छत्तीसगढ़ की राज्य सरकार भी उन से कम जिम्मेदार नहीं है।

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  4. लेकिन हम यह ज़रूर जान लें कि लोगों पर हमारे ज़ुल्म समाज में अशांति का कारण ज़रूर बनते हैं जल्दी या कुछ देर के बाद ही सही .

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  5. Kya jhoth liya hai Himanshu Kumaar ne, Darbha Ghati me tata steel ka koi plant nahi lagne ja raha hai, Aur Darbha block me Lohandiguda block nai ata hai.
    Map me dekh le ki darbha block/valley kaha hai.
    kya aap batayenge ki ye jhooth apne kyo likha hai?

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  6. tata steel plant to Lohandiguda block Ke 10 gaon me lagne wala hai, wo Darbha block me kaha se aa gaya?

    aab aap ye bhi bata do ki Darbha block se Lohandiguda block kitni dur hai, ya mai map lakar du?

    Logo ki maout par sab rajneeti kar rahe hai. politician's aur activist sab. inko logo se koi lena dena nai hai.

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