Monday, June 25, 2012

" वीरता पुरस्कार "




जब हम दंतेवाडा में काम करते थे ! तो हमारे साथ आश्रम में काम करने एक लड़का आया ! मेरे साथियों ने बताया की पहले वह सलवा जुडूम में एस पी ओ था ! लेकिन बाद में उसे अपने काम से नफरत हो गयी थी और उसने वह काम छोड़ दिया था ! उसने मुझसे कहा की अब वह गाँव वालों के लिए काम करना चाहता है इसलिए हमारे आश्रम से जुड़ना चाहता है ! वह काम करने लगा ! बाद में उसने मुझे कई घटनाएँ सुनाई ! उनमे से दो घटनाएँ आज आपके साथ बाँट रहा हूँ !


उसने बताया की एक बार पुलिस और सी आर पी ऍफ़ ने एस पी ओ के साथ एक गाँव पर हमला किया ! सारे गाँव वाले जान बचाने के लिए जंगल की तरफ भाग गए ! पुलिस दल झोपड़ियों में घुस घुस कर आदिवासियों को ढूँढने लगा ! इस लड़के ने भी एक तरफ बने एक झोपडी के दरवाजे पर लात मारी ! अंदर एक आदिवासी परिवार मौजूद था ! तीन छोटे छोटे बच्चे डर कर थर थर काँप रहे थे ! उनके माँ बाप ने बच्चों की रोने की आवाज़ रोकने के लिए उनके मूंह दबाये हुए थे ! उनके माँ बाप भी रो रहे थे !


उस लड़के ने मुझे बताया की " गुरूजी, वैसे तो ऐसे मामले में हम सबको मार ही देते थे ! लेकिन उस दिन उन्हें देख कर मेरे मन में उनके मर जाने के बाद उनकी लाशों की कल्पना आयी ! मुझे लगा मुझे उल्टी हो जायेगी ! मैंने बच्चों के बाप से कहा की बच्चों को लेकर चुपचाप घर के पीछे से जंगल में भाग जाओ ! वो डर रहा था की मैं शायद उन्हें पीछे से गोली मार दूंगा ! मैंने उसे जोर से धक्का मारा और कहा भाग जल्दी से ! वो पूरे परिवार सहित जंगल में भाग गया !


इधर मेरे दुसरे एस पी ओ दोस्तों को एक घर में एक बूढा आदमी मिल गया ! उन्होंने बुड्ढे के हाथ उसके पीछे बाँध कर उसे उसके झोंपड़े के बरामदे की लकड़ी के खम्बे से बाँध दिया ! पहले तो वो लोग उससे गाँव वालों के बारे में पूछते रहे ! तभी एक पुलिस वाला बोला ये साला हमारे किसी काम का नहीं है टाइम खराब मत करो ! खत्म कर दो इसको ! एक एस पी ओ ने बूढ़े के बरामदे में पडी हुई कुल्हाड़ी उठाई और बूढ़े की गर्दन पर मार दी ! एक बार में ही बूढ़े की गर्दन एक तरफ झूल गई !

दूसरी तरफ हमारी एक टुकड़ी को दो आदिवासी लडकियां मिल गयीं ! उनमे से एक को बुखार था शायद इसलिए वो भाग नहीं पायी !दूसरी लगभग पन्द्रह साल की एक नाबालिग लडकी थी ! वह भी सोई हुई थी ! लगता था उसके घरवालों को उसे जगा कर अपने साथ ले जाने का मौका ही नहीं मिला था !मेरे एस पी ओ दोस्त और सी आर पी ऍफ़ वाले उन लड़कियों को लेकर एक घर में घुस गए ! अंदर से उन लड़कियों के चिल्लाने की और लड़कों के हंसने की आवाजें आ रही थी ! कुछ देर बाद हमारे बड़े साहब आ गए ! उन्होंने पूछा क्या हो रहा है यहाँ ? हमने कहा सर दो औरतों को पकड़ा है ! साहब ने कहा उन्हें इधर लाओ ! लड़के दोनों लड़कियों को धकेलते हुए साहब के सामने लाये ! दोनों लड़कियां बिना कपड़ों के थीं ! साहब ने कहा इन्हें ड्रेस पहनाओ ! इनके बाल काटो और फोटो खींचो !दोनों लड़कियां ज़मीन पर बैठ कर रो रही थी ! हम लोगों ने अपने पिट्ठू से नक्सलियों वाली हरी ड्रेस निकाली ! जबरदस्ती उन लड़कियों को पहनाई ! फिर अपनी बंदूके उनके कंधे पर टाँगी ! एक सिपाही ने उनके बाल नक्सल लड़कियों जैसे काट दिए ! फिर हमने उनकी फोटो खींची ! उन्हें लेकर हम थाने आ गए ! वहाँ पुलिस वाले इनसे दो हफ्ते तक पूछताछ करते रहे ! थाने में रात को बहुत सारे पुलिस वाले और एस पी ओ लड़के इनके साथ गलत काम भी करते थे !

दो हफ्ते बाद पुलिस ने इन लड़कियों को कोर्ट में पेश किया जज साहब ने इन लड़कियों को नक्सली मान कर जेल में भेजने का आर्डर दे दिया !

( टिप्पणी :- मैं इन दोनों लड़कियों के परिवार के सदस्यों को लेकर जे एन यू में एक जन सुनवाई में लेकर आया था ! कुछ महीने बाद दिल्ली में इनके परिवार वालों ने एक प्रेस कांफ्रेंस भी की थी ! मीटिंग हाल में मौजूद हर पत्रकार की आँखें गीली थी ! लेकिन अगले दिन दिल्ली के एक भी अखबार ने यह खबर नहीं छापी थी ! मेरे दंतेवाडा में रहते समय हमने एक इनमे लडकी को ज़मानत पर बाहर निकाल लिया था ! लेकिन बाद में मुझे दंतेवाडा छोड़ना पड़ा !मुझे लगता है दूसरी लडकी अभी भी जेल में होगी )
उस लड़के ने एक और किस्सा बताया !" एक बार हम लोग कोम्बिंग के लिए सबेरे सबेरे एक गाँव में पहुंचे ! गाँव के बाहर ही खेतों की रखवाली करने वाले पांच बूढ़े आदमी आग ताप रहे थे !अचानक अपने चारों तरफ से पुलिस को आते देख कर वो बूढ़े डर कर खड़े हो गए ! एक सिपाही ने गोली चला दी वो पाँचों आदिवासी बूढ़े डर कर भागने लगे ! पुलिस ने उन पर फायरिंग शुरू कर दी ! तीन बूढ़े वहीं मर गए ! दो बच कर जंगल में भाग गए !
   इस बीच हमारी फायरिंग की आवाज़ सुन कर पूरा गाँव खाली हो गया ! तलाशी में हमें गाँव में कोई नहीं मिला ! एस पी साहब ने कहा इन्हें बुड्ढों को ड्रेस पहनाओ ! हम लोगों ने तीनो बुड्ढों की लाशों को अपने साथ लाई गयी नक्सली ड्रेस पहनाई ! एस पी साहब ने कहा बन्दूक रखो ! हम लोगों ने अपने साथ लाई हुई भरमार बन्दूक लाशों के बगल में रख दी ! एस पी साहब ने लाशों के साथ फोटो खिंचवायीं ! हमने गाँव से एक बैलगाड़ी ली और तीनों लाशों को लेकर जिला मुख्यालय आ गये !
  एस पी साहब ने फोन कर के पत्रकारों को बुलाया ! पत्रकारों से कहा लिखिए " सर्चिंग अभियान के दौरान नक्सलियों के एक बड़े दल ने पुलिस पार्टी पर घात लगा कर हमला किया ! पुलिस के जवानों ने पोजीशन लेकर नक्सलियों की फायरिंग का मुंह तोड़ जवाब दिया ! लगभग दो घंटे भयंकर गोलीबारी हुई जिसमे हमारे सिपाहियों ने अद्भुत वीरता का परिचय दिया !इस मुटभेड में एस पी साहब के कुशल नेतृत्व में सुरक्षा बलों ने तीन दुर्दांत माओवादियों को ढेर कर दिया !
यह खबर प्रदेश के सभी समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई ! राज्य सरकार ने एस पी साहब का नाम राष्ट्रपति वीरता पदक हेतु भेजा ! अगले वर्ष एस पी साहब को वीरता के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक प्रदान किया गया !

( टिप्पणी :- वो एस पी साहब अभी भी छत्तीसगढ़ के एक महत्वपूर्ण जिले के एस पी हैं ! इन विवरणों में मैंने किसी भी स्थान व्यक्ति अथवा समय का उल्लेख नहीं किया है ! परन्तु यदि राज्य शासन चाहे तो इस विवरण की सत्यता को चुनौती दे सकती है ! तब मैं अदालत में सारे विवरण दे दूंगा तथा गवाह भी पेश कर दूंगा )

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