Monday, May 16, 2011

"सोमड़ू मर गया"



 "सोमड़ू मर गया"     
    हिमांशु कुमार 

  आज दंतेवाडा से एक फ़ोन आया की सर सोमड़ू म़र गया ! मैंने पूछा कैसे ? तो मुझे बताया गया की तेंदू पत्ता तोड़ते समय कल उसे सांप ने काट लिया और कुछ ही देर में वो म़र गया ! न्याय का इंतज़ार करते करते सोमड़ू म़र गया ! कौन था ये सोमड़ू ? 
      तीन साल पहले की ये घटना है ! भैरमगढ़ से बीजापुर जाने के रास्ते में माटवाडा नाम का एक सलवा जुडूम कैंप है ! 18 मार्च 2008 को  स्थनीय अखबार में खबर छपी कि माटवाडा सलवा जुडूम कैंप में रहने वाले  तीन आदिवासियों की नक्सलियों ने कैंप में घुस कर हत्या कर दी है! खबर पर विश्वास नहीं हुआ ! क्योंकी ये एक छोटा सा कैंप है ! सड़क के किनारे सारे आदिवासी अपनी झोपडी में रहते हैं ! बीच में एक पतली सी सड़क औए सड़क के इस तरफ पुलिस चौकी ! आदिवासीयों की झोपड़ियों के पीछे की तरफ सी आर पी ऍफ़ का कैंप ! लेकिन सच्चाई कैसे पता चले ? अचानक कोपा गायब हो गया ! में कोपा के बिना बताये गायब होने पर आश्रम में बडबडा रहा था कि दो दिन के बाद मुकुराते हुए कोपा सामने आ गया ! उसके साथ एक नौजवान और भी था ! मैंने प्रश्नवाचक दृष्टि से पूछा की ये कौन है? कोपा ने कहा आप ही पूछ लीजिये ! उस लड़के ने दिल दहला देने वाली कहानी सुनायी ! उसने बताया की जो तीन आदिवासियों के नक्सलीयों के हाथों मारे जाने का समाचार छपा है उन तीन मारे गए लोगों में से एक मेरा भाई है और इन तीनों को नक्सलियों ने नहीं पुलिस ने मारा है !
     लेकिन हम लोग कभी भी बिना पूरी तहकीकात के किसी मामले में  कार्यवाही नहीं करते थे ! इसलिए मैंने उस नौजवान से कहा की मारे गए तीनो लोगो की पत्नियाँ कहाँ हैं ? उसने कहा की सलवा जुडूम कैंप में ! मैंने कहा उन्हें लाना होगा ! कोपा बोला ये ज़िम्मेदारी में लेता हूँ ! और अगले दिन सुबह मारे गए उन तीनों आदिवासियों की पत्नियां हमारे आश्रम में आ गयी साथ में कोपा  उनके गाँव के सरपंच और पटेल को भी लेता आया था !  उन लोगों को मैंने अलग- अलग बैठा कर पूरी घटना का विवरण देने को कहा ! अन्य गवाहों  से भी पूछा ! अब संदेह की कोई भी गुंजाइश नहीं बची थी !  सब का विवरण एक ही जैसा था ! अब सिद्ध हो गया था की ये सलवा जुडूम रहत शिविर नहीं यातना शिविर हैं ! 
    घटना इस प्रकार की थी ! इस गाँव के लोगों को जबरन तीन साल पहले गाँव के आठ लोगों की हत्या करने के बाद घरों को जला कर इस कैंप में लाया गया था ! ये लोग तब से इन कैम्पों में रह रहे थे ! सरकार ने शुरू में तो कैंप बसते समय ये कहा था की कैंप में खाना पीना सब मिलेगा लेकिन वो सब तो जुडूम के नेता बीच में ही गटक जाते थे ! इस पर गांव वालों ने  पेट भरने के लिए आस पास सरकारी सड़क बनाने के नरेगा के काम में जाना शुरू किया पर उसमे भी आधी मजदूरी नेता और पुलिस वाले मार देते थे ! तब लोगों ने गावों में जा कर महुआ बीनना और धान उगाना शुरू कर दिया ! लेकिन सब को रात होने से पहले कैंप में वापिस आ कर पुलिस के सामने हाजिरी लगानी पड़ती थी! ज्यादा रात हो जाने वाले की पिटाई की जाती थी कि तुम लोग गाँव जाने के बहाने ज़रूर नक्सलियों की बैठक में गए होगे ! एक रात ये चार आदिवासी ज्यादा रात हो जाने पर पिटाई के डर से गांव में ही रुक गए ! इन्होने सोचा की कल दिन में चुपचाप अपने घर में घुस जायेंगे और बोल देंगे की हम तो कल शाम को ही आ गए थे ! और इन्होने ऐसा ही किया ! लेकिन इसकी जानकारी वहां के एस पी ओ लोगों को चल गयी ! उन्होंने वहां पुलिस चौकी के इंचार्ज ऐ एस आई पटेल के साथ मिल कर इन चारों को अनुशासन तोड़ने की सजा देने का निर्णय किया ! सजा देने के लिए पुलिस वालों और एस पी ओ ने पहले जम कर शराब पी  और उस के बाद इन चारों को घरों में घुस कर खींच कर बाहर लाया गया ! इनकी पत्नियों ने जब इन्हें बचाने की कोशिश की तो उन्हें भी बन्दूक  के बट से मार मार कर लहूलुहान कर दिया गया दिया गया ! फिर इन चारों आदिवासियों के हाथ उन्ही की लुंगियां खोल कर पीछे बांध दिए गए ! और इन्हें सड़क पर लाया गया और मोटे मोटे डंडों से चारों की पिटाई शुरू की गयी ! थोड़ी देर में चारों बेहोश हो गए!  बाल्टी भर पानी  मंगाया गया और उन चारों पर डाला गया ! उन्हें थोडा होश आया ! उन चारों में सोमड़ू भी एक था ! अँधेरा हो गया था ! सोमड़ू मौके का फयदा उठाकर सरकते हुए एक झाड़ी में चला गया और हाथों में बंधी लूंगी खोल कर गिरता पड़ता कुछ दूर पहुंचा ! वहाँ गाँव वालों ने उसे पानी पिलाया ! किसी ने उसे अपने घर में बकरियों के साथ छिपा दिया ! इधर इन तीनो की पिटाई शाम से रात के आठ बजे तक चलती रही ! अंत में लगभग सब शांत हो गए थे ! फिर उनकी सज़ा पूरी करने का वक़्त आया ! चाकू से तीनो की आँखे निकाली गयीं ! और फिर माथे पर चाकू खड़ा कर के पत्थर से उसे सर में ठोक दिया गया ! इसके बाद तीनो की लाशों को पास में नदी के किनारे रेत में दबा दिया गया ! 
    हमने इन तीनों आदिवासियों की पत्नियों को मीडिया के सामने बैठा दिया और कहा की आप भी सच्चाई निकालने की कोशिश करिए ! इसके बाद ये मामला छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में दायर किया गया ! इन तीनों महिलाओं को मैं अपने प्रदेश के सह्रदय साहित्यकार दी जी पी श्री विश्वरंजन जी के पास ले गया ! वो बोले ठीक है मुझे अब कुछ नहीं पूछना है लेकिन बाद में उन्होंने पत्रकारों से कहा की इन महिलाओं के पतियों को नक्सलियों ने ही मारा है पर ये नक्सलियों के कहने से पुलिस पर झूठा इल्ज़ाम लगा रही हैं ! इस विषय में मेधा पाटकर ने भी डी जी पी साहब को एक पत्र लिखा जिसके जवाब में उन्होंने कहा की हिमांशु तो झूठ बोलता है! बाद में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की जांच में भी इस मामले में पुलिस की भूमिका पर संदेह व्यक्त किया गया ! अभी इस मामले में आरोपी पुलिस का ए एस आई पटेल और दो एस पी ओ जेल में हैं ! तीनो महिलाओं को अंतरिम रहत के रूप में एक एक लाख रुपया अदालत के आदेश से मिला है ! सोमड़ू का एक हाथ और तीन पसलियाँ मार से टूट गयीं थीं ! और वह उसके  और उसके साथियों  के साथ हुए ज़ुल्म के खिलाफ  फैसले के इंतज़ार में था ! लेकिन आज खबर आयी की सोमड़ू मर गया!  और उसी के साथ उसका इंतज़ार भी म़र गया !

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